कृषि मशीनरी : यह मशीन धान की पराली का भी बना देंगी पैसा, सरकार मशीन खरीदने पर दे रही है 80% सब्सिडी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के बाद पराली जलाने पर पाबंदी लग गई थी। जिसके बाद पराली किसानों के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में देखी जा रही थी, लेकिन अब पराली किसानों की समस्या नहीं बल्कि अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है। ऐसे में कई तरह की मशीनें आ रही हैं, जिनकी मदद से पराली को बंडल बनाकर बेचा जा सकता है। ऐसी ही एक कृषि मशीन है रैकर, जो धान की फसल की कटाई के बाद बचे हुए पराली को लाइनों में इकट्ठा करती है। इसके बाद एक बैलर की मदद से पराली से बंडल बनाए जाते हैं।
रैकर पराली इकट्ठा करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी कृषि मशीन है। जिसका उपयोग खेतों में कटाई के बाद बची हुई पराली को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। रैकर में लगे दांतों या टाइन की मदद से पराली को जमीन से उठाकर एक लाइन में इकट्ठा किया जाता है। लाइनों में इकट्ठी की गई पराली को एक बैलर से उठाया जाता है।
यह भी पढ़िए – Kheti News : बरसात के दिनों करे इस खास फसल की खेती, मार्केट में बिकती है काफी महंगी
रैकर होते है कई प्रकार के
रैकर कई प्रकार के होते हैं, जैसे रोटरी रैकर और रेक रैकर। प्रत्येक प्रकार के रैकर की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। रैकर की मदद से पराली को आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है। यह खेत को साफ रखने में मदद करता है। पराली जलाने से प्रदूषण होता है। रैकर की मदद से पराली को जलाने की बजाय इसका दूसरे तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। पराली से खाद या बायोगैस बनाई जा सकती है। खेत में पराली गलने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। यह पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद करता है।
10 एकड़ को पलक झपकते कर देता है साफ़
अगर आपका खेत समतल है तो रैकर आसानी से काम कर सकता है, लेकिन अगर खेत में कोई उबड़-खाबड़ जगह है तो रैकर को काम करने में दिक्कत होगी। आमतौर पर एक रैकर एक घंटे में 8 से 10 एकड़ के क्षेत्र से पराली इकट्ठा कर सकता है। रैकर चलाने के लिए 25 से 30 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की जरूरत होती है।
पराली को एक जगह करता है यह जमा
बैलर पहले पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है। फिर, यह कटी हुई पराली को एक चेंबर में इकट्ठा करता है। एक निश्चित मात्रा में पराली इकट्ठा करने के बाद, बैलर इसे एक मजबूत रस्सी या तार से बांधकर एक गांठ बनाता है। अंत में, इस गांठ को चेंबर से बाहर निकाला जाता है। बैलर चलाने से पहले आमतौर पर रैकर का इस्तेमाल किया जाता है।
यह भी पढ़िए – Bank JOB : सेंट्रल बैंक में नौकरी करने का शानदार मौका, जल्द से जल्द इस तारीख तक करे आवेदन
सरकार भी दे रही है सब्सिडी
बैलर या रैकर खरीदने पर सरकार 50 से 80 फीसदी तक की सब्सिडी देती है। एक बैलर की कीमत लगभग 17 लाख रुपये और रैकर की कीमत लगभग 4 लाख रुपये है। अलग-अलग कंपनियों और अलग-अलग क्षमता के आधार पर इनकी कीमतें ज्यादा या कम हो सकती हैं।