Kheti News : बरसात के दिनों करे इस खास फसल की खेती, मार्केट में बिकती है काफी महंगी। काली हल्दी की मांग और कीमत सामान्य पीली हल्दी की तुलना में काफी अधिक है। इसकी खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है और कीटों का प्रकोप भी कम होता है, जिससे लागत में कमी आती है। काली हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका उपयोग दवाओं और स्वास्थ्य उत्पादों में तेजी से हो रहा है। काली हल्दी की खेती से मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
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दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में होती है इसकी खेती
काली हल्दी की खेती के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। इसे साल में एक बार लगाया जाता है और इसकी पैदावार अच्छी होती है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी काली हल्दी के लिए सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। गर्म और आर्द्र जलवायु काली हल्दी के लिए आदर्श है।
ऐसे करे काली हल्दी की खेती
काली हल्दी की खेती के लिए स्वस्थ और रोग मुक्त कंदों का चयन करें। प्राकृतिक बीजों के उपयोग से बेहतर परिणाम मिलते हैं। काली हल्दी की बुवाई का सबसे अच्छा समय मानसून का मौसम होता है। खेत को अच्छी तरह से जोतकर तैयार करें। कंदों को 2-3 टुकड़ों में काट लें। कंदों को 2-3 इंच की गहराई पर गाड़ दें। कंदों के बीच 1 फीट और पंक्तियों के बीच 2 फीट की दूरी रखें।
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काफी महंगी बिकती है काली हल्दी
काली हल्दी की औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग काफी अधिक है। बाजार में सामान्य पीली हल्दी की कीमत 60 से 100 रुपये प्रति किलो तक होती है, जबकि काली हल्दी की कीमत 500 से 4000 रुपये या उससे भी अधिक होती है। समय-समय पर खरपतवारों को हटाते रहें। कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। फसल 9-10 महीनों में तैयार हो जाती है। पौधों को जड़ों सहित उखाड़ लें। कंदों को छाया में सुखा लें।